Cryptocurrency क्या है ?यह कैसे काम करती है ? | What is Cryptocurrency ?

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Cryptocurrency क्या है? | क्रिप्टोकोर्रेंसी का मतलब क्या होता है ?

Cryptocurrency (क्रिप्टो करेंसी) एक डिजिटल या वर्चुअल  मुद्रा है जिसे सामान और सेवाएं खरीदने के लिए इस्तेमाल किया जाता है|  क्रिप्टो करेंसी स्ट्रांग क्रिप्टोग्राफी और ऑनलाइन लेजर का इस्तेमाल करता है।

क्रिप्टो करेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करता है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी एक डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी है जिसका ट्रांज़ैक्शन इंटरनेट पर मौजूद बहुत सारे कंप्यूटर्स में रिकॉर्ड किया जाता है जो उसे मैनेज करते हैं| जिससे  इसके डाटा में हेरफेर नहीं किया जा सकता है| 

क्रिप्टो करेंसी सामान्यत: सरकार द्वारा जारी नहीं की जाती है जिससे इस पर सरकार का हस्तक्षेप नहीं होता है।बहुत सारी कंपनियों ने अपना करेंसी क्रिप्टो करेंसी जारी किया है जिसे टोकन कहते हैं इस टोकन को कंपनी द्वारा कंपनी के सामान और सेवाएं खरीदने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

 क्रिप्टो करेंसी को  संपदा (एसेट) के रूप में रखा जाता है| इसकी ट्रेडिंग की जाती है क्रिप्टो करेंसी ने निवेश करने वालों को बहुत ही अच्छा रिटर्न दिया है| 

 क्रिप्टो करेंसी कितने प्रकार का होता है ? Types of Crypto Currency

पहला ब्लॉक चेन आधारित क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन है जो कि आज भी सबसे ज्यादा  लोकप्रियऔर बहुमूल्य है। आज हजारों की संख्या में क्रिप्टो करेंसी है जिनका विशेषताएं और फंक्शन अलग-अलग है |  इनमें से कुछ क्लोन करेंसी हैं जोकि बिटकॉइन पर आधारित है और कुछ मूल रूप से बनाए गए हैं। 

 क्रिप्टो करेंसी  तीन प्रकार के होते हैं

  1.  बिटकॉइन Bitcoin
  2.  अल्टकोइंस Alt Coins
  3.  टोकेंस/ डी ऐप्स Tokens/dApps

 Bitcoin | बिटकॉइन्स

2008 में सतोशी नाकामोतो ने बिटकॉइन का अपना वाइट पेपर ऑनलाइन जारी किया था| प्रारंभ में इसे डार्क वेब पर गुड्स और सर्विस ट्रेड  करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था|

2013-14 से इसकी लोकप्रियता और इसका मूल्य बढ़ना प्रारंभ हुआ|  आज इसका मूल्य Rs 3565942 तक पहुंच गया है| 

बिटकॉइन ने ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी लोगों के सामने लाया जिससे बिना थर्ड पार्टी के बिटकॉइन को रिसीव करना और  दूसरे को  भेजना संभव हुआ | यह पूरी तरह डिसेंट्रलाइज है इसका मतलब है कि या किसी भी थर्ड पार्टी या बैंक पर निर्भर नहीं है ||

बिटकॉइन के द्वारा प्रत्येक ट्रांजैक्शन डायरेक्टली यूजर्स के बीच में होता है इसे पियर टू पियर नेटवर्क कहते हैं|  इससे अपना पहचान बताएं बिना पेमेंट कर सकते हैं| 

Bitcoin कैसे काम करता है?

जब कोई बिटकॉइन भेजता है तो उसके ट्रांजैक्शन को वेरीफाई किया जाता है और ब्लॉकचेन में स्टोर कर लिया जाता है। ब्लॉकचेन में जो सूचनाएं होती हैं इंक्रिप्टेड होती हैं जिसे सब देख सकते हैं लेकिन उसे डिक्रिप्ट केवल उसका  मालिक कर सकता है|  सभी कार्नर के पास अपना एक प्राइवेट की होता है जिससे वे बिटकॉइन को डिक्रिप्ट कर सकते हैं।

बिटकॉइन ट्रांजैक्शन को वेरीफाई कौन करता है

बिटकॉइन ब्लॉकचेन अलग-अलग लोग और कंपनियां अपने कंप्यूटर पर चलाती हैं। वह लोग अपने कंप्यूटर में एक विशेष सॉफ्टवेयर चलाते हैं जो प्रत्येक ट्रांजैक्शन को वेरीफाई करता है | इसे  नोड Node /Miner  कहा जाता  है | 

Nodes /Miners  को ट्रांजैक्शन वेरीफाई करने के लिए नया बिटकॉइन मिलता है| 

जब एक नया ट्रांजैक्शन ब्लॉक, ब्लॉक चेन में भेजा जाता है तो Node /Miners  एक स्पेशल एल्गोरिदम जिसे  प्रूफ ऑफ वर्क(Proof of Work) कहते हैं के द्वारा वेरीफाई करते हैं| जो पहला माइनर उसे वेरीफाई करता है उसे नया कॉइन मिलता है | 

Alt Coins | अल्ट कॉइन

बिटकॉइन के बाद बहुत सारे ने ब्लॉक चेंज बनाए गए जिन्हें अल्टकोइंस कहा जाता है| जैसे -NEO, Litecoin, Cardano…… आज के समय में 1000 से भी ज्यादा अल्टकोइंस है इसमें अधिकतर कॉइन बिटकॉइन में मामूली बदलाव करके बनाए गए हैं। जबकि 

कुछ Alt Coins  बिटकॉइन से बिल्कुल अलग  है और उनका  लक्ष्य और उपयोग भी अलग है| जैसे  Factom Coin  प्रूफ-ऑफ़-स्टेक (PoS -Proof of Stake) का उपयोग करता है | PoS  में Miners  नहो होते है | इसमें Stakers होते है | 

Ethereum  और NEO  बिटकॉइन से बिलकुल अलग है | बिटकॉइन डिजिटल करेन्सी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है जबकि Ethereum  और NEO को डिजिटल करेंसी के तौर पर नहीं बनाया गया है | ये block chain apps  के लिए एक बहुत बड़ा  प्लेटफार्म है | Ethereum  और NEO पर आप अपना एप्लीकेशन बना सकते है | इसी से कई नए क्रिप्टो कर्रेंसी बने है | 

Tokens/dApps | टोकंस

तीसरी प्रकार की क्रिप्टो करेंसी टोकन है। पहली दोनों क्रिप्टो करेंसी से यह बिल्कुल अलग है इसका अपना कोई ब्लॉकचेन नहीं होता है|  यह एथेरियम और नियों (Ethereum  और NEO) ब्लॉकचेन को यूज करके बनाए जाते हैं| इनको dApps (Decentralised  Application) के द्वारा यूज किया जाता है| dApps स्मार्ट कांट्रैक्ट को यूज करके बनाए जाते हैं| 

dApps किसी और का  ब्लॉक चेंज जैसे कि Ethereum  और NEO का इस्तेमाल करके बनाए जाते हैं इसलिए किसी भी प्रकार का टोकन ट्रांजैक्शन Ethereum  और NEO ब्लॉकचेन नोड द्वारा ही वेरीफाई किया जाता है। इसका मतलब Ethereum  और NEO ट्रांजैक्शन चार्ज देना होता है। इसलिए dApps ट्रांजैक्शन के लिए आपके पास आपका Ether  या NEO होना चाहिए| 

क्रिप्टोकरंसी के फायदे और नुकसान

क्रिप्टो करेंसी के फायदे

 क्रिप्टो करेंसी आपको बहुत ही आसानी से  बिना किसी थर्ड पार्टी के शामिल हुए बिना दो लोगों के बीच पैसे ट्रांसफर की सुविधा देता है| ट्रांजैक्शन पब्लिक की और प्राइवेट की का इस्तेमाल करके बहुत ही सुरक्षित होता है|  इसमें  बैंक और अन फाइनेंसियल कंपनियों के चार्जर से बहुत ही मिनिमम प्रोसेसिंग  चार्ज लगता है। इसमें डाटा में कोई छेड़-छाड़ नहीं कर सकता |  

क्रिप्टो करेंसी के नुकसान 

क्रिप्टो करेंसी ट्रांज़ैक्शन को ट्रेस करना बहुत ही मुश्किल होता है इसलिए इसके द्वारा गैर क़ानूनी कार्य जैसे मनी लॉन्डरिंग और टैक्स चोरी किया जा सकता है | इसलिए दुनिया भर की सरकारे  चिंतित है |  हालाँकि इसका समर्थन करने वाले लोगो का कहना है की इससे प्राइवेसी सुरक्षित रहती है जो व्हिस्टलब्लोवर और एक्टिविस्ट को सुरक्षा प्रदान करता है | 


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